चलो न आज कुछ इस तरह जी लें

चलो, आज कुछ इस तरह जी लें
कि संभावनाओं को हकीकत में बदलें,
चेतना के तार झनझनाऍं,
सारे सपनों को ज़मीन पर उतार लें,
नई राहें तलाश लें,
अपनी एक ऐसी नई दुनिया बनाऍं
कि जिसके ओर छोर अनंत तक फैल जाएँ
सीमित हम सीमाहीन हो जाऍं।
चलो न, आज कुछ इस तरह जी लें,
खो लें,
डूब लें, डुबो लें,
सबमें लय होकर
एक हो जाऍं।
चलो न आज कुछ इस तरह जी लें
कि ज़िंदगी खुशरंग हो जाए!!!